Realization of modernity and Rama story of Narendra Kohli

आधुनिकता बोध और नरेन्द्र कोहली के रामकथात्मक उपन्यास

Authors

  • Rahul Kumar Saini Ward no. 9, Rajeev Colony, Sri Madhopur Sikar, Rajasthan

DOI:

https://doi.org/10.53573/rhimrj.2023.v10n02.011

Keywords:

Realization of Modernity, Classical, Balwadi, Night School, Industrialization, Capitalist System, Existential Philosophy

Abstract

Modernity means newness. This newness is indicative of the newness of thoughts, which continuously moves forward in our thoughts as a dynamic process. Modernity began in the west in the 18th century as a result of industrialization, capitalist system, existential philosophy and two world wars, which arrived in India in the early 20th century. What we call the modern period, we came to know through a combination of philosophical concepts of Darwin, Freud, Marx, Kant and Sartre. This realization raised the question of man's freedom and creativity of language in a new way and also presented a new challenge to the creators of modern times.

Abstract in Hindi Language:

आधुनिकता का अभिप्राय है नयापन। यह नयापन विचारों के नयेपन का द्योतक है, जो निरंतर हमारे विचारों में गतिशील प्रक्रिया के रूप में अग्रसर होता है। आधुनिकता का आरंभ 18वीं शताब्दी में औद्योगीकीकरण, पूँजीवादी व्यवस्था, अस्तित्ववादी दर्शन और दो-दो महायुद्धों के परिणाम स्वरूप पश्चिम में हुआ जिसका भारत में आगमन 20वीं शताब्दी के आरंभ में हुआ। जिसे हम आधुनिक काल कहते हैं, उसका बोध हमें डार्विन, फ्रायड, माक्र्स, काण्ट और सार्त्त की दार्शनिक अवधारणाओं के संयोग से हुआ। इस बोध ने मनुष्य की स्वतंत्रता और भाषा की सर्जनात्मकता के सवाल को नये सिरे से उठाया और आधुनिक काल के रचनाकारों के समक्ष नयी चुनौती भी प्रस्तुत की।

Keywords: आधुनिकता बोध, कालजयी, बालवाड़ी, रात्रिशाला, औद्योगीकीकरण, पूँजीवादी व्यवस्था, अस्तित्ववादी दर्शन।

References

वर्मा, रामचंद्र ;1964द्ध ‘मानक हिंदी कोश’, प्रयाग रू हिंदी साहित्य सम्मेलन। पृ. 174

दास, श्यामसुंदर ;1965-1976द्ध ‘हिंदी शब्द सागर’, काशी रू नागरी प्रचारिणी सभा। पृ. 3574

सिंह, रामधारी ‘दिनकर’ ;1973द्ध ‘आधुनिक बोध’, दिल्ली: पंजाबी पुस्तक भंडार। पृ. 24

मदान, इंद्रनाथ (1968) ‘हिंदी कहानी रू पहचान और परख’, नई दिल्ली रू लिपि प्रकाशन। पृ. 229

मदान, इंद्रनाथ (1968) ‘हिंदी कहानी रू पहचान और परख’, नई दिल्ली रू लिपि प्रकाशन। पृ. 230

कोहली, नरेन्द्र, (1997) ‘नरेन्द्र कोहली ने कहा’, दिल्ली: वाणी प्रकाशन। पृ. 56

कोहली, नरेन्द्र (1979) ‘दीक्षा’, दिल्ली: पराग प्रकाशन, तृतीय संस्करण, आधार भूमि से।

कोहली, नरेन्द्र (1979) ‘दीक्षा’, दिल्ली: पराग प्रकाशन, तृतीय संस्करण, पृ. 49

कोहली, नरेन्द्र (1978) ‘अवसर’, दिल्ली: पराग प्रकाशन, द्वितीय संस्करण, पृ. 149

कोहली, नरेन्द्र (1978) ‘अवसर’, दिल्ली: पराग प्रकाशन, द्वितीय संस्करण, पृ. 155

कोहली, नरेन्द्र (1980) ‘संघर्ष की ओर’, दिल्ली: पराग प्रकाशन, द्वितीय संस्करण, पृ. 49

कोहली, नरेन्द्र (1980) ‘संघर्ष की ओर’, दिल्ली: पराग प्रकाशन, द्वितीय संस्करण, पृ. 102

कोहली, नरेन्द्र (1979) ‘दीक्षा’, दिल्ली: पराग प्रकाशन, तृतीय संस्करण, पृ. 145

कोहली, नरेन्द्र (1980) ‘संघर्ष की ओर’, दिल्ली: पराग प्रकाशन, द्वितीय संस्करण,, पृ. 462

Downloads

Published

2023-02-28

How to Cite

Saini, R. K. (2023). Realization of modernity and Rama story of Narendra Kohli: आधुनिकता बोध और नरेन्द्र कोहली के रामकथात्मक उपन्यास. RESEARCH HUB International Multidisciplinary Research Journal, 10(2), 54–57. https://doi.org/10.53573/rhimrj.2023.v10n02.011