Rise of New Poetry: An Overview
नयी कविता का उदय: एक अवलोकन
DOI:
https://doi.org/10.53573/rhimrj.2023.v10n02.016Keywords:
New poetry, new genres, literatureAbstract
The poet of all times was trying to bring a new style in his poetry. Due to this reason, ever-new-looking, story, specific narration styles and Sadyojat-modes got a place in the literature. From Vedic stories, mythology, historical sagas to general social organizations, the object of poetry kept changing and from Vyakrit languages like Girvan, Prakriti etc. to common practical dialects were used in poetry. In Chhand Vidhan, not only Marg and Deshi, but loose verses were also adopted along with Muktak and Muktchhand. New poetry was developed through many contemporary letters and magazines. Magazines like 'Prateek', 'Naye Patte', 'Nikash', 'Abhivikti', 'Aparampara' etc. are particularly noteworthy. New poems continued to be published in other magazines as well. Due to which the new poetry got the direction of development.
Abstract in Hindi Language:
हर समय का कवि अपनी कविता में एक नया अंदाज लाने की कोशिश में लगा रहा। इस कारण ही साहित्य में नित्य-नूतन लगने वाली, कथा, विशिष्ट कथन शैलियाँ ओर सद्योजात-विधाओं को स्थान मिलता गया। वैदिक कथानिकाएँ, पौराणिक कथाओं, ऐतिहासिक गाथाओं से लेकर सामान्य सामाजिक संघटनाओं तक कविता की वस्तु बदलती गई और गीर्वाण, प्राकृति आदि व्याकृत भाषाओं से लेकर जन सामान्य व्यावहारिक बोलियों तक कविता में प्रयुक्त होती रही। छंद विधान में मार्ग एवं देशी ही नहीं बल्कि मुक्तक एवं मुक्तछंद के साथ विच्छृंखल छंद को भी अपनाया गया। नयी कविता का विकास अनेक समकालीन पत्र पत्रिकाओं के माध्यम से हुआ। ’प्रतीक’, ’नये पत्ते’, ’निकष’, ’अभिव्यक्ति’, ’अपरंपरा’ आदि पत्रिकाएं विशेष उल्लेखनीय है। अन्य पत्रिकाओं में भी नयी कविता प्रकाशित होती रही। जिसके कारण नयी कविता को विकास की दिशा प्राप्त हुई।
Keywords: नयी, कविता, नयी विधाओं, साहित्य।
References
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नयी कविता की चिंतन भूमि-डाॅ. उषा कुमारी, पृ. फ्लाप 2 पर उद्धत
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नयी कविता की चिंतन भूमि, डाॅ. ऊषा कुमारी, पृ. 17