The Changing Paradigms of Divorce Practices Among Muslim Women: A Sociological Study
मुस्लिम महिलाओं में तलाक प्रथा के बदलते प्रतिमान: समाजशास्त्रीय अध्ययन
DOI:
https://doi.org/10.53573/rhimrj.2025.v12n1.008Keywords:
Divorce practice, Triple Talaq, Social Justice, Personal Law, Indian Penal Code, Social RightsAbstract
Women’s contribution to changing the fabric of society is significant. The status of women in a society is often an indicator of a nation's progress. A woman who is empowered in all aspects is a sign of a nation's peak development. India is a diverse nation, where today women are working shoulder to shoulder with men in all fields. However, this situation is not the same for all women. In some communities and religions, the status of women is not as good as expected. The weak and vulnerable position of Muslim women is a direct proof of this. Several ancient traditions and practices within Muslim society are key factors that have failed to adapt to the changing social dynamics. Among these, the practice of divorce stands out. The religious rules related to divorce in the social life of Muslim women have become increasingly harsh over time, instead of evolving with changing societal needs.
Abstract in Hindi Language: समाज की तस्वीर बदलने में महिलाओं का योगदान महत्वपूर्ण होता है। महिलाओं की स्थिति देखकर ही किसी राष्ट्र की उन्नति का पता लगाया जा सकता है। सर्वांगीण रूप से सशक्त महिला किसी भी राष्ट्र के चरमोत्कर्ष की सूचक होती है। भारत एक विविधतापूर्ण राष्ट्र है, जिसमें आज महिलाएँ हर क्षेत्र मे पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर कार्य कर रही है, लेकिन यह स्थिति सम्पूर्ण महिलाओं के लिए समान नहीं है। कुछ समाज व धर्म विशेष में महिलाओं की स्थिति इतनी अच्छी नहीं है, जितनी अपेक्षित थी। मुस्लिम महिलाओं की कमजोर व निर्बल स्थिति इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। इसके पीछे मुस्लिम समाज की कुछ पुरातन परम्पराएँ व प्रयाएँ प्रमुख कारण है जो बदलते समाज के साथ सामंजस्य नहीं कर पा रही हैं। तलाक प्रथा इसमें प्रमुख है। मुस्लिम महिलाओं के सामाजिक जीवन में तलाक प्रथा से संबंधित धार्मिक नियम समय के साथ धर्म परिवर्तित होने के बजाय कठोर होते चले गये।
Keywords: तलाक प्रथा, तीन तलाक, सामाजिक न्याय, पर्सनल लॉ, भारतीय न्याय संहिता, सामाजिक अधिकार।
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