From Desert Landscapes to Sustainable Development: New Pathways of Ecotourism in the Desert Regions of Rajasthan
रेगिस्तानी भूदृश्य से सतत विकास तक: राजस्थान के रेगिस्तानी क्षेत्रों में पारिस्थितिकी पर्यटन के नए मार्ग
DOI:
https://doi.org/10.53573/rhimrj.2025.v12n5.019Keywords:
Ecotourism, Sustainable Development, Desert Ecology, Water and Soil ConservationAbstract
This research paper presents a multidimensional analysis of ecotourism sites in the Thar and Ladakhi deserts. Using a combination of primary data collected through regional surveys, semi-structured interviews, and questionnaires (Verma 2020; Agrawal 2018), along with a qualitative–quantitative analysis of secondary sources (Kumar 2017; Jain 2018), the study evaluates the economic, environmental, and socio-cultural impacts of ecotourism. The findings indicate that ecotourism has led to a 25–30% increase in the annual income of rural households, a rise of 0.5–1 meter in groundwater levels, and a 15% reduction in soil erosion. Additionally, the formation of women's self-help groups and local management committees has contributed to community empowerment and cultural revival. However, unorganized infrastructure, policy gaps, and technological barriers (Kumar 2017; Tiwari 2020) have emerged as significant challenges to long-term development. The study recommends cluster-based ecotourism planning and financial incentives at the policy level, and the promotion of entrepreneurship through community participation and self-help groups at the local level. This research demonstrates that ecotourism is not only a means of economic growth but also a decentralized model that can inspire innovations in environmental protection and social inclusion in Rajasthan’s desert regions.
Abstract in Hindi Language: इस शोध पत्र में थार एवं लद्दाखी मरुभूमि के इकोटूरिज्म स्थलों का बहुआयामी विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है। क्षेत्रीय सर्वेक्षण, अर्द्ध-संरचित साक्षात्कार एवं प्रश्नावली (वर्मा 2020; अग्रवाल 2018) द्वारा संकलित प्राथमिक डेटा के साथ-साथ द्वितीयक स्रोतों के गुणात्मक–मात्रात्मक मिलेजुले विश्लेषण (कुमार 2017; जैन 2018) से आर्थिक, पर्यावरणीय एवं सामाजिक- सांस्कृतिक प्रभावों का मूल्यांकन किया गया। परिणामस्वरूप, इकोटूरिज्म ने ग्रामीण परिवारों की वार्षिक आय में लगभग 25-30% की वृद्धि, जल स्तर में 0.5–1 मीटर की उन्नति एवं मिट्टी कटाव में 15% की कमी सुनिश्चित की। साथ ही, महिला स्वयं सहायता समूहों एवं स्थानीय प्रबंधन समितियों के निर्माण से सामुदायिक सशक्तिकरण एवं सांस्कृतिक पुनरुद्धार हुआ। हालांकि, असंगठित बुनियादी ढाँचा, नीति-अन्तराल एवं तकनीकी अवरोध (कुमार 2017; तिवारी 2020) दीर्घकालिक विकास में बाधक सिद्ध हुए। नीति-स्तर पर क्लस्टर आधारित इकोटूरिज्म योजना एवं वित्तीय प्रोत्साहन, तथा स्थानीय स्तर पर सामुदायिक भागीदारी एवं स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से उद्यमिता को बढ़ावा देने के सुझाव दिए गए हैं। यह शोध दर्शाता है कि पारिस्थितिकी पर्यटन न केवल आर्थिक संवृद्धि का साधन है, बल्कि राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों में पर्यावरण सुरक्षा और सामाजिक समावेशिता के नवाचारों का प्रेरक विकेंद्रित मॉडल बन सकता है।
Keywords: पारिस्थितिकी पर्यटन; सतत विकास; मरुस्थलीय पारिस्थितिकी; जल-भूमि संरक्षण
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